सुरक्षित मिला प्लाज्मा थेरैपी से संक्रमण का इलाज, मरीजों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं: वैज्ञानिकों का दावा

सुरक्षित मिला प्लाज्मा थेरैपी से संक्रमण का इलाज, मरीजों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं: वैज्ञानिकों का दावा

सेहतराग टीम

कोरोना महामारी (Corona Panedemic) का इलाज तलाशने की कवायद के बीच राहत देने वाली खबर है। एक शोध के मुताबिक कोविड-19 (Covid- 19) से ठीक होने वाले मरीजों के खून से प्लाज्मा (Plasma) निकालकर अन्य मरीजों का इलाज करना पूरी तरह सुरक्षित है। शोधकर्ताओं ने ये दावा भी किया कि इस तरीके से इलाज कराने वाले मरीजों में किसी भी तरह का दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला। ह्यूस्टन मेथॉडिस्ट हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने रिकवरी कर चुके कोरोना पीड़ितों का प्लाज्मा चिकित्सकीय परीक्षण के तहत गंभीर रुप से बीमार मरिजों को दिया। अमेरिकी जर्नल ऑफ पैथोलॉजी में प्रकाशित इस शोध में बताया गया, इसमें 25 में से 19 मरीजों को लाभ हुआ है, जिनमें से 11 को अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा चुका है। साथ ही कहा गया कि शोध से मिले निष्कर्षों को और व्याप ढ़ग से नियंत्रित समूह पर रेंडम तरीके से चिकित्सकीय परीक्षण के साथ पुष्ट करना आवश्यक हैय़ शोधकर्ता डॉ. जेम्स म्यूमर ने कहा, पूरी दुनिया में वैज्ञानिक कोरोना के खिलाफ नई दवाओँ और इलाजों का परीक्षण करने में जुटे हुए है। ऐसे में समय में कॉन्वोलेमेंट सिरम थेरैपी अहम उपयोगी रणनीति के तौर पर उभरकर सामने आई है।

पढ़ें- DRDO ने तैयार की कोराना की दवा, कानपुर, लखनऊ और वाराणसी में होगा क्लीनिकल ट्रायल

इबोला और सार्स के खिलाफ भी रही थी उपयोगी ( It Was also Useful Against Ebola and SARS):

वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि प्लाज्मा थेरैपी 1918 से स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए इस्तेमाल किया गया करीब एक सदी पुराना चिकित्सकीय दृष्टिकोण है। लेकिन इसकी मदद से 2003 की सार्स महामारी, 2009 को इन्फ्लुएंजा एच1एन1 महामारी और 2015 में अफ्रीका में फैली इबोला महामारी में बहुत सारे मरीजों को ठीक करने में मदद मिली थी।

रक्तदान से बनती हैं एंटीबॉडीज (Antibodies are Made From Blood Donation)

महामारी के बीच रक्तदान करने वाले 5.5 फीसदी डच नागरिकों में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडिज (Antibodies) मिली है। रक्तदान (Blood Donation) कराने वाली संस्था सैनक्विन ने बुधवार को बताया कि 10 से 20 मई के बीच रक्तदान करने वाले सात हजार मतदाताओं पर अध्ययन के बाद ये खुलासा हुआ है। इस अध्ययन से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या कितनी है। सैनक्विन के प्रमुख शोधकर्ता हंस जैजक ने कहा हम हर्ड इम्युनिटि से अभी काफी दूर है। मंगलवार तकर नींदरलैंड में कुल 46647 मामले सामने आ चुके थे जबकि 5967 लोगों की मौत हुई है।

 

इसे भी पढ़ें-

क्या किसी के पास आने पर सांस रोक लेने से कोरोना से बचाव किया जा सकता है?

 

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।